जनसमस्याओं ने किया विकराल रूप धारण,जनता परेशान
आगरा। छावनी परिषद के आठों वार्डों में जनसमस्याएं विकराल रुप ले चुकी हैं। सार्वजनिक शौचालयों का बुरा हाल है। पुलियां टूटी पड़ी है। सड़कों और खरंजों का भी बुरा हाल है। वाटर एटीएम कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं। ऐसे में छावनी परिषद आगरा को विकास कार्यों के लिए बजट की दरकार है। 136 करोड़ के बजट को स्वीकृति के लिए लखनऊ जीओसी इन चीफ के पास भेजा गया है। जानकारों का कहना है कि जो बजट प्रस्ताव भेजा गया था। उसमें कुछ कमियों के कारण बजट स्वीकृत होने में देरी हो रही है।
छावनी की जनता को विकास कार्य न होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, अधिकारियों द्वारा भी इस ओर दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है।
सफाई व्यवस्था पर हरल 5.41 करोड़ रुपये खर्च हो रहे है,इसके बाद भी नारकीय हालात बने हुए हैं। थोड़ी सी बारिश में नाले और नालियां उफनने लगते हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण में आगरा छावनी 57वें पायदान पर आया। इसके बाद भी अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंगी। सफाई व्यवस्था जस की तस बनी हुई है।
सालों से नहीं बने खरंजे
कई वार्डों में खरंजे टूटे हुए है। सालों से नए खरंजों क ा निर्माण नहीं हुआ है। ऐसे में यह खरंजे गढ्डे में बदल चुके है। बजट के अभाव में छावनी परिषद नए खरंजों का निर्माण नहीं करा पा रहा है। नालियों की हालत भी खस्ता है। उन्हें भी मरम्मत की दरकार है।
विकास कार्यों में भेदभाव
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेत एवं वाल्मीकि समाज के सरपंच अजय भारती का कहना है कि छावनी में वर्षों से विकास कार्य नहीं हुए हैं। अगर हुए है तो भी विकास कार्य कराते समय भेदभाव किया जाता है। वाल्मीकि बस्तीयों में विकास कार्य नहीं कराए जाते हैं। लोग नारकीय जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
थोड़ी सी बारिश में हो जाता है जलभराव
छावनी क्षेत्र में थोड़ी सी बारिश में जलभराव हो जाता है। बुधवार शाम को हुई थोड़ी सी बारिश ने जलभराव की समस्या पैदा कर दी। वार्ड नंबर आठ में सब्जी मंडी, पंचमुखी हनुमान मंदिर और ख्यालीराम स्कूल के पास जलभराव हो गया। जिसका मुख्य कारण नाले की सफाई न होना है।
महिलाएं करती हैं रात होने का इंतजार
छावनी परिषद के लगभग सभी वार्डों में सार्वजनिक शौचालयों की हालत बेहद खराब है। महिला शौचालयों में तो दरवाजे तक नहीं है। सीटें टूटी पड़ी हैं। नियमित रुप से सफाई नहीं होती है। महिलाओं को खुले में शौच के लिए मजबूर होना पड़ता हैऔर रात होने का इंतजार करती हैं।