सुबह की कमर की जकड़न हो सकती है एंकिलोसिंग स्पांडिलाइटिस
आगरा। रीढ़ की हड्डी व मेरुदंड संबंधी समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं – इन सब का मुख्य कारण है गलत मुद्रा में उठना बैठना, अत्यधिक मोबाइल उपयोग, लेट कर टीवी देखना आदि । सब प्रकार की स्पांडिलाइटिस में सबसे जटिल है एंक्योलोसिस स्पांडिलाइटिस जो की एक वंशानुगत बीमारी है जो लाइलाज मानी जाती है और कुब्ड़ापन पैदा कर सकती है।
पारिक होम्योपैथिक सेंटर की निदेशिका डॉ नीतिका पारीक ने अपने नए क्षोध पत्र के प्रकाशन व प्रस्तुति पर बताया की अक्सर इस जटिल स्पांडिलाइटिस के मरीजों को दशकों तक पेन किलर दवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है जो उनके गुर्दे के लिए हानिकारक साबित होती हैं एवम् नवीन एंटी टीएन एफ थेरेपी आदि लाभदायक तो हैं किंतु शरीर में दबी टीबी को फैला सकती है। ऐसे में उन्होंने अपने क्षोध के जरिए इस जटिल रोग में होम्योपैथी की कारगर्ता को दशार्या। ब्रिटेन में स्थापित यूनिवर्सिटी की इंडेक्स को मापदंड बनाके मरीजों पर होम्योपैथी के असर का विश्लेषण किया गया और प्रभावी पाया गया। डॉ नीतिका ने बताया की यदि शुरूआती स्तर से होम्योपैथी का उपयोग हो तो इस रोग में होने वाली विकलांगता से मरीज को बचाया जा सकता है और पैन किलर दवाओं की आवश्यकता को खत्म किया जा सकता है। एंकिलोसिंग स्पांडिलाइटिस के शुरूआती लक्षणों में कमर का दर्द, हर समय थकान महसूस होना और सुबह उठने पर पूरे शरीर और खास कर कमर में जकड़न होना मुख्य हैं।
इस क्षोभ पात्र का प्रकाशन इटली में हुआ और इसे हाल ही में डीईआइ यूनिवर्सिटी के राष्ट्रीय सेमिनार में डॉ. नितिका द्वारा कीनोट वक्ता के रूप में प्रस्तुत किया गया। इस प्रस्तुति के लिए उन्हें सम्मानित किया गया और वैज्ञानिक जगत ने मील के पत्थर के रूप में सराहा।